Wednesday, January 28, 2009
हमारी आवाज
कुछ महीने पहले कोसी नदी का कहर झेल रही बिहार के लोग अभी भी इस सदमे से उबर नहीं पाए है। आज भी वहाँ ऐसे लोग है, जिनका रहने का कोई ठिकाना नहीं है, आज भी वे लोग किसी स्टेशन के प्लेटफार्म पर अपना गुजारा कर रहे हैं। इस तबाही का एक हिस्सेदार है, रामबदन यादव जो कुछ समय पहले अपने परिवार के साथ अच्छी जिंदगी गुजार रहा था, लेकिन कोसी के कहर ने उसके परिवार को अलग कर दिया। उसकी बीवी और बच्चे उससे अलग हो गए। आज वह दाने-दाने के लिए तरस रहा है, उसके खेतों पर जमींनदारो का कब्जा है। ना उसकी बात कानून सुनता है ना सरकार। कितने ऐसे बच्चे हैं जो कहीं काम कर अपना गुजारा कर रहे है, महिलाओं के साथ लोग उनका यौन उत्पीड़न कर रहें हैं। मदद के नाम पर कभी सरकारी आँफिसर तो कभी जमींदार। भारत सरकार ने बिहार सरकार को एक हजार करोड़ की मदद के बावजूद आज भी रामबदन जैसे लोग विकास के लिए जूझ रहें है। बात सीधी है... इसके जिम्मेदार कहीं न कहीं बिहार सरकार है... क्या हम लोगों को ऐसे नेताओं और आँफिसरों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए
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