Saturday, March 6, 2010

महिला बिल की क्‍या जरुरत : लालू

केंद्र सरकार एक ओर, 8 मार्च यानी सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर मतदान कराने की कोशिश कर रही है तो दूसरी ओर, राजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव ने इस बिल का विरोध करने का मन बना लिया है। वहीं, सोनिया गांधी ने फिर दोहराया है कि आठ मार्च को महिला आरक्षण बिल पास करवाना सबसे टॉप प्रॉयरिटी पर रहेगा। वहीं, भाजपा ने इस बिल को समर्थन देने की बात कही है।

संसद में प्रवेश करते समय जब लालू से महिला आरक्षण बिल पर उनकी राय मांगी गई तो उन्होंने कहा कि देश में राष्ट्रपति से लेकर संसद की स्पीकर तक महिला है। ऐसे में इस बिल की क्या जरुरत है। लालू ने आगे कहा कि महंगाई के मुद्दे को दबाने के लिए सरकार इस बिल को पेश करना चाहती है।

दूसरी ओर, सोनिया गांधी ने बृहस्पतिवार को सुबह हुई संसदीय दल की बैठक में कहा कि महिला आरक्षण बिल सबसे टॉप प्रॉयोरिटी है। आठ मार्च को इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा।

महिला आरक्षण बिल पर बिखर सकता है विपक्ष

संसद के बजट सत्र में महंगाई के मुद्दे पर कायम हुई विपक्ष की एकजुटता अगले सप्ताह ही टूट सकती है। सरकार 8 मार्च यानी सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर मतदान कराने की कोशिश करेगी। यह विधेयक मई 2008 में राज्यसभा में पेश किया गया था।

विधेयक के विभिन्न प्रावधानों को वाजिब ठहराते हुए संसदीय समिति की रिपोर्ट आ चुकी है। गत 25 फरवरी को केंद्रीय कैबिनेट भी विधेयक के मौजूदा प्रावधान को मंजूर कर चुकी है। राज्यसभा में पारित होने के बाद सरकार विधेयक को लोकसभा में पेश करेगी। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने बुधवार को पत्रकारों के पूछने पर इस संबंध में सरकार की रणनीति पर रोशनी डाली।

जानकारों का कहना है कि यह रणनीति कामयाब हुई तो सरकार को दोहरी सफलता हाथ लगेगी। एक तरफ, लंबे समय से लटका महिला आरक्षण विधेयक पारित हो जाएगा और दूसरी तरफ यूपीए के दूसरे कार्यकाल में पहली बार कायम हुई विपक्ष की एकजुटता टूट जाएगी।

कांग्रेस की कोर-कमेटी की उच्चस्तरीय बैठक में बनी इस खास रणनीति के चलते केंद्र सरकार महिला आरक्षण विधेयक को लेकर अचानक तेजी से हरकत में आई। इसी क्रम में अगले सप्ताह सोमवार को राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा का प्रस्ताव सामने आया। केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने राज्यसभा के उच्चधिकारियों से इस बात पर विचार-विमर्श भी किया। कार्यमंत्रणा समिति के फैसले के बाद इसकी विधिवत घोषणा की जाएगी।

सरकार को मालूम है कि कुछ दल महिला आरक्षण विधेयक का विरोध कर सकते हैं। इसके बावजूद वह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है, क्योंकि इस मामले में विपक्ष बुरी तरह बिखरा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दल इस विधेयक का समर्थन करने को तैयार हैं। लेकिन, समाजवादी पार्टी , राष्ट्रीय जनता दल, बहुजन समाज पार्टी और लोजपा आदि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान के साथ विधेयक पेश करने की मांग कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने विधेयक के मौजूदा प्रारूप में संशोधन से इनकार कर दिया है। मौजूदा विधेयक में संसद और विधान मंडलों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है।

पहले भी हो चुके हैं प्रयास

एच डी देवगौड़ा की संयुक्त मोर्चा सरकार ने सन 1996 में लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया था, लेकिन स्वयं उनके सहयोगी दलों ने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। तब से लोकसभा में कई बार इस विधेयक को पेश करने और पारित कराने की कोशिश की गई, लेकिन किसी सरकार को सफलता नहीं मिली।